4 बैंकों पर आरबीआई का तगड़ा एक्शन, ठोका 1-1 लाख रूपए का मौद्रिक जुर्माना, किन बैंकों पर गिरी गाज? RBI Imposed Fine

RBI imposed fine on 4 cooperative banks: RBI ने नियमों का उल्लंघन करने पर 4 सहकारी बैंकों पर ₹1-1 लाख जुर्माना लगाया। जानें किन बैंकों पर कार्रवाई हुई और इसका ग्राहकों पर क्या असर पड़ेगा।

RBI imposed fine on 4 cooperative banks: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने जून 2025 में एक बार फिर बैंकिंग व्यवस्था में अनुशासन बनाए रखने की दिशा में कड़ा कदम उठाया है। तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में स्थित चार सहकारी बैंकों पर आरबीआई ने 1-1 लाख रुपये का मौद्रिक जुर्माना लगाया है। यह दंड नियमों के पालन में लापरवाही, लोन स्वीकृति में अनियमितता और KYC प्रक्रियाओं में चूक को लेकर लगाया गया है।

किन बैंकों पर गिरी गाज?

जिन बैंकों पर यह कार्रवाई हुई, वे हैं:

  • द कर्नाटक को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुद्देबिहाल (कर्नाटक)
  • द चित्तूर को-ऑपरेटिव टाउन बैंक लिमिटेड (आंध्र प्रदेश)
  • द करीमनगर डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव सेंट्रल बैंक लिमिटेड (तेलंगाना)
  • द हैदराबाद डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव सेंट्रल बैंक लिमिटेड (तेलंगाना)

इन बैंकों के खिलाफ यह कार्रवाई RBI और NABARD की संयुक्त जांच में सामने आई खामियों के बाद की गई। सभी बैंकों को पहले कारण बताओ नोटिस भेजा गया था, लेकिन उनके जवाब संतोषजनक नहीं पाए गए।

लोन नियमों में गड़बड़ी: निदेशकों को खुद ही दे दिया लोन

तेलंगाना के करीमनगर और हैदराबाद के दो को-ऑपरेटिव सेंट्रल बैंकों ने अपने ही निदेशकों को लोन स्वीकृत कर दिए, जो कि बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 के अंतर्गत स्पष्ट रूप से निषिद्ध है। यह अनियमितता NABARD की ऑडिट रिपोर्ट में उजागर हुई। इसके आधार पर RBI ने धारा 47A(1)(c), 46(4)(i), और धारा 56 के अंतर्गत कार्रवाई करते हुए जुर्माना ठोका।

KYC नियमों की अनदेखी: रिकॉर्ड अपलोड में लापरवाही

कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के बैंकों कर्नाटक को-ऑपरेटिव बैंक और चित्तूर को-ऑपरेटिव टाउन बैंक ने ग्राहकों की KYC जानकारी समय पर Central KYC Registry (CKYCR) में अपलोड नहीं की। साथ ही, इंटर-बैंक और प्रतिपक्ष जोखिम सीमाओं का भी सही पालन नहीं किया गया। इन गंभीर चूकों के कारण भी उन पर जुर्माना लगाया गया।

ग्राहकों को घबराने की आवश्यकता नहीं

RBI ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई पूरी तरह से प्रशासनिक और नियामकीय स्तर पर है, न कि बैंकों की वित्तीय स्थिति या ग्राहकों की सुरक्षा पर। इसका मतलब है कि:

  • खातों की स्थिति यथावत बनी रहेगी
  • लेनदेन पर कोई असर नहीं पड़ेगा
  • सेवाएं सामान्य रूप से जारी रहेंगी

इसका ग्राहकों के पैसे या सुविधाओं पर कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ेगा।

क्यों है यह कार्रवाई ज़रूरी?

यह कदम दर्शाता है कि RBI अब सहकारी बैंकों को भी उसी निगरानी और अनुशासन में लाना चाहता है, जैसा वह वाणिज्यिक बैंकों के साथ करता है। इस प्रकार की सख्ती से:

  • बैंकिंग व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ेगी
  • नियमों का पालन अनिवार्य होगा
  • ग्राहकों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी

RBI की यह कार्रवाई एक सख्त चेतावनी है कि कोई भी बैंक, चाहे छोटा हो या बड़ा, नियमों की अनदेखी नहीं कर सकता। इससे देश की बैंकिंग प्रणाली और अधिक मजबूत और विश्वसनीय बनेगी।

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